शहीद का परिवार खा रहा है दर दर की ठोकरें शहीद वीरांगना , ना नौकरी मिली और ना ही स्कूल का हुआ नामकरण

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शहीद वीरांगना को कृषि कनेक्शन और नामांतरण के लिए भी काटने पड़ रहे हैं दफ्तरों के चक्कर

शहीद राजेंद्र मीणा के माता-पिता के खाते में भी नहीं आये 5-5 लाख रुपए

शहादत को 16 महीने पूरे लेकिन पैकेज अभी नही मिला पूरा

दौसा : जब भी कोई शहीद होता है तो पूरे देश में लोग शहीद की बहादुरी पर फक्र करते हैं, जब शहीद की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार होता है तो हजारों की भीड़ जयकारे लगाती है, नेता पहुंचते हैं तो पुष्प चक्र भेंट करते हैं और कहते हैं कि शहीद परिवार को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी और जो पैकेज है वह शीघ्र मिल जाएगा। शायद ही ऐसा कोई शहीद परिवार होता होगा जिसे बिना तकलीफें जिले सभी सुविधाएं मिलती होंगी। वर्तमान में पूरे देश में शहीद वीरांगनाओं का मामला चर्चित में है ऐसे में हम आपको बता रहे हैं दौसा के दिलावरपुरा गांव में रहने वाली शहीद वीरांगना ममता मीना की दास्तां। ममता मीना के पति राजेंद्र प्रसाद मीणा 2013 में असम राइफल्स में भर्ती हुए थे और 13 नवम्बर 2021 उग्रवादी हमले में मणिपुर में शहीद हो गए थे।

15 नवंबर 2021 को जब शहीद का अंतिम संस्कार किया गया तो बड़ी संख्या में राजस्थान सरकार के नेता और मंत्री पहुंचे और भरोसा दिया कि 1 महीने में शहीद परिवार को पूरे पैकेज का लाभ दे दिया जाएगा। राजेंद्र मीणा को शहीद हुए करीब 16 महीने बीत चुके हैं लेकिन शहीद परिवार को अभी तक पैकेज के नाम पर कुछ विशेष नही मिला है। ना तो शहीद राजेंद्र मीणा की पत्नी ममता मीणा को अभी सरकारी नौकरी मिली है और ना ही शहीद के माता- पिता के खाते में जमा होने वाली 5-5 लाख रुपए राशि मिली है। इतना ही नहीं अभी शहीद राजेंद्र मीणा के नाम से स्कूल का नामकरण भी नहीं हुआ है। शहीद वीरांगना ममता को आयकर विभाग में नौकरी दिए जाने की बात कही जा रही है और इसके लिए नवंबर माह में वेरिफिकेशन भी हो चुका है लेकिन अभी तक नौकरी नहीं लगी है। ऐसे में पति की शहादत के बाद पिछले 16 महीने से शहीद वीरांगना ममता नौकरी की आस में बैठी हुई है वही शहीद के माता-पिता के खातों में भी पैसा नही आया है।

स्कूल का नामकरण नहीं हो पाया है पहले प्रशासन दिलावरपुरा के प्राथमिक स्कूल का नामकरण करवाने की बात कह रहा था लेकिन शहीद के परिजन और ग्रामीण ग्राम पंचायत मुख्यालय राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मूही का नामकरण करवाना चाहते हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव सरकार को भिजवा रखा है लेकिन अभी तक नामकरण नहीं हुआ है, जबकि आये दिन नेताओं के नाम से दूसरे गांव व शहरों में भी स्कूल, कॉलेज, अस्पतालो के नामकरण हो जाते है लेकिन शहीद राजेंद्र मीना के परिवार को को उनकी ग्राम पंचायत में ही नाम का हक नही मिल पा रहा है। प्रशासन की उदासीनता का सिलसिला यहीं नहीं रुकता है शहीद वीरांगना के नाम कृषि कनेक्शन दिए जाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अभी तक कृषि कनेक्शन नहीं मिला वही शहीद वीरांगना के नाम सहित के पिता के द्वारा जमीन का नामांतरण करवाने के लिए भी ठोकरें खाई जा रही हैं लेकिन अभी तक नामांतरण नहीं खुला जिसके चलते कृषि कनेक्शन भी नहीं हो पा रहा है। शहीद के अंतिम संस्कार के दौरान नेताओं ने शहीद के स्मृति स्थल से लेकर घर तक सड़क बनाने की बात कही थी लेकिन इस ओर तो अभी ना तो नेताओं ने और ना ही अफसरों ने ध्यान दिया है।

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