बाघ टी—104 की मौत में वन विभाग की घोर लापरवाही, फेफड़ों में सक्रमण के बावजूद नहीं की गई मेडिकल जांच

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मौत का प्रारंभिक कारण फेफड़ों में संक्रमण बताया जा रहा, जांच के लिए सैम्पल और बरेली और हैदराबाद की लैब को भेजे, रिपोर्ट आने से मौत के कारणों की होगी पुष्टि

उदयपुर, 11 मई(ब्यूरो)। रणथंभौर के खूंखार बाघ टी—104(चीकू) की मौत को लेकर वन विभाग की घोर लापरवाही सामने आई है। प्रारंभिक तौर पर बाघ की मौत का कारण फेफड़ों में संक्रमण बताया जा रहा है, लेकिन जब उसे रणथंभौर से उदयपुर शिफ्ट किया गया तो उससे पहले उसकी मेडिकल जांच तक नहीं कराई गई। वहीं पता चल जाता तो उसे बचाया जा सकता था। मृत बांध के सैम्पल जांच के लिए बरेली तथा हैदराबाद लैब भेजे गए हैं और उसकी रिपोर्ट से मौत के असल कारणों की पुष्टि हो पाएगी।
बताया गया कि रणथंभौर से उदयपुर शिफ्ट करते समय उसके मेडिकल जांच को लेकर औपचारिकता ही निभाई गई। उसके फेफड़ों में संक्रमण का पता उसकी मौत के बाद पता चला। रणथंभौर के जिला वन्यजीव अधिकारी मोहित गुप्ता भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि रणथंभौर से भेजन के लिए उसे ट्रेंकुलाइज करने के बाद टाइगर का वजन, लंबाई-चौड़ाई और उसका तापमान जांचा गया, लेकिन उसकी अंदरूनी रूप से जांच नहीं की गई। इसलिए फेफड़ों में संक्रमण में पता नहीं लगा। जबकि उदयपुर के जिला वन्यजीव अधिकारी अजय चित्तौड़ा ने पोस्टमार्टम जांच के बाद टाइगर के फेफड़ों में संक्रमण होने की पुष्टि की है। चित्तौड़ा का कहना है कि ये संक्रमण अचानक नहीं हुआ है, धीरे-धीरे इसके शरीर में फैला है।
उदयपुर लाए जाने के बाद महज पांच घंटों में तोड़ दिया दम
टाइगर टी-104 की मौत उसे ट्रेंकुलाइज करने के बाद महज 24 घंटे और उदयपुर लाए जाने के बाद महज पांच घंटे के भीतर हो गई। मंगलवार सुबह 6:35 बजे उसे रणथंभौर में ट्रेंकुलाइज किया था। सुबह 8 बजे एसी वाहन में उदयपुर के लिए रवाना किया। मंगलवार शाम 7:40 बजे उसे उदयपुर के सज्जनगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क में छोड़ दिया गया। जहां रात बारह बजे बाद उसकी मौत हो गई। इस बीच उसने पानी भी पीया और थोड़ा खाना खाया था। सुबह 6 बजे जब वन विभाग के कर्मचारी उसे देखने पहुंचे तो उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी।

सैम्पल बरेली और हैदराबाद की लैब को भेजे
उदयपुर डीएफओ अजय चित्तौड़ा ने बताया कि पशुचिकित्सालय की टीम में शामिल डॉ. कमलेन्द्र प्रताप, डॉ. हंसकुमार जैन, डॉ. हिमांशु व्यास और डॉ. सविता मीणा ने टाइगर का पोस्टमार्टम किया। जिन्होंने प्राथमिक जांच में टाइगर के फेफड़ों में संक्रमण होने की पुष्टि की है। जांच के लिए सैम्पल और बरेली और हैदराबाद की लैब को भेज दिए गए। जहां से रिपोर्ट आने पर इसकी सही तरह से मौत के स्पष्ट कारणों का पता लग सकेगा।

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