सरपंच का निर्वाचन पांच साल के लिए तो बीच में क्यों नियुक्त किया प्रशासक-हाईकोर्ट

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जयपुर, 27 नवंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने पांच साल के लिए निर्वाचित सरपंच की जगह ग्राम पंचायत के पुनर्गठन के कारण ग्राम विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त करने पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने प्रमुख पंचायती राज सचिव, संभागीय आयुक्त, जयपुर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और कोटपूतली-बहरोड जिला कलेक्टर को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने इन अधिकारियों से पूछा है कि जब सरपंच पद पर पांच साल के लिए निर्वाचन किया जाता है तो फिर ग्राम विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त क्यों किया गया है। वहीं अदालत ने प्रशासक नियुक्त करने के विभाग के आदेश पर भी अंतरिम रोक लगा दी है। जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश जवानपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच जयराम जाट की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता जनवरी, 2020 में पांच साल के लिए जवानपुरा का सरपंच निर्वाचित हुआ था। वहीं पंचायती राज विभाग ने गत 19 जुलाई को जवानपुरा ग्राम पंचायत का पुनर्गठन कर नई ग्राम पंचायत खाटोलाई का गठन किया और 31 अगस्त को आदेश जारी कर पुनर्गठित ग्राम पंचायतों में ग्राम विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त कर दिया। वहीं प्रशासक को ग्राम पंचायतों की आगामी मीटिंग को आयोजित करने का निर्देश दे दिया। इसके चुनौती देते हुए कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 243अ के तहत पंचायत के निर्वाचित सदस्य को पांच साल का कार्यकाल पूरा करने से पूर्व नहीं हटाया गया जा सकता। याचिका में अदालत को यह भी बताया गया कि जवानपुरा ग्राम पंचायत के पुनर्गठन में विधिक प्रावधानों की भी पूर्णत: पालना नहीं की गई है। जवानपुरा ग्राम पंचायत को सर्वोत्तम स्वच्छता की दृष्टि से सम्मानित किया जा चुका है। ऐसे में ग्राम विकास अधिकारी को प्रशासक नियुक्त करने के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रशासक नियुक्त करने के आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

बजरी खनन को लेकर हुई हत्या के आरोपियों को जमानत नहीं
जयपुर, 27 नवंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने टोंक के पीपलू थाना इलाके में बजरी खनन को लेकर हुई युवक के हत्या के मामले में पांच आरोपियों को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने आरोपियों की जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश सुरेश कुमार, रविन्द्र सिंह, सतवीर सिंह, राकेश कुमार और महेन्द्र सिंह की जमानत याचिका को खारिज करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार युवक की मौत से ठीक पहले 11 चोंटे लगी थी। जिससे साबित है कि यह जघन्य प्रकृति का अपराध है। ऐसे में आरोपियों को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।
जमानत याचिका में कहा गया कि गत 27 जून की घटना को लेकर 29 जून को एफआईआर दर्ज कराई गई। जिसमें याचिकाकर्ताओं के नाम नहीं है। मरने वाले व्यक्ति बजरी खनन का काम करता था। इसके अलावा पीएमआर रिपोर्ट के अनुसार 11 चोंटे गंभीर प्रकृति की नहीं थी। इसके अलावा प्रकरण में आरोप पत्र पेश हो चुका है और ट्रायल में लंबा समय लगने की संभावना है। इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। जिसका विरोध करते हुए पीडित पक्ष के अधिवक्ता मोहित बलवदा ने कहा कि आरोपियों ने इलाके में अपना वर्चस्व दिखाने के लिए युवक की हत्या की है। ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि 27 जून की रात बजरी परिवहन के दौरान शंकर की हत्या की गई थी। इस पर उसके भाई ने पुलिस संरक्षण में हत्या का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसकी जांच बाद में सीबीआई को भी सौंपी गई थी।

नए जिले के पदों को पुराने जिले में दिखाकर नहीं दी नियुक्ति, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
जयपुर, 27 नवंबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने नया जिला बनाने के बाद उसके रिक्त पदों को पूर्व में जिले में दिखाकर शिक्षकों को पदस्थापित नहीं करने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक, और माध्यमिक जिला शिक्षाधिकारी खैरथल-तिजारा से पूछा है कि जब इस जिले में शिक्षक पद रिक्त हैं तो उन्हें अलवर जिले में क्यों दर्शाया गया है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश मनोज कुमार सहित अन्य की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता आरपी सैनी ने अदालत को बताया कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने गत 17 जून को आदेश जारी कर महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय और स्वामी विवेकानंद राजकीय आदर्श विद्यालय में पदस्थापन के लिए विभाग के शिक्षकों व कार्मिकों से आवेदन मांगे। वहीं विभाग ने प्राप्त आवेदनों के आवेदकों की 10 अगस्त को परीक्षा आयोजित की। जिसमें सफल होने के लिए 12 अंक लाने जरूरी थे। विभाग की ओर से गत सितंबर माह में परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थियों से विकल्प मांगे। जिसमें याचिकाकर्ताओं ने खैरथल-तिजारा को वरीयता दी। याचिका में कहा गया कि खैरथल-तिजारा जिले में पद रिक्त चल रहे हैं और काउन्सलिंग के समय यह नया जिला भी बन गया था। इसके बावजूद विभाग ने शाला दर्पण पर खैरथल-तिजारा जिले के शिक्षा विभाग के रिक्त पदों को अलवर में दर्शा दिया। जिसके चलते याचिकाकर्ताओं को खैरथल-तिजारा जिला आवंटित नहीं हुआ। जबकि खैरथल-तिजारा के डीईओ ने खाली पदों पर काउन्सलिंग कराने के लिए शिक्षा निदेशक को पत्र भी लिख दिया, लेकिन याचिकाकर्ताओं को इस जिले में पदस्थापित नहीं किया गया। वर्तमान में इस नए जिले में तृतीय श्रेणी लेवल-प्रथम के दो सौ से अधिक पद खाली चल रहे हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

बीस करोड की धोखाधडी के मामले में अब तक क्या जांच की
जयपुर, 27 नवंबर। अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-2 ने गांधी नगर थाना पुलिस से प्रगति रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि बीस करोड रुपए की धोखाधडी के मामले में दर्ज एफआईआर पर अब तक क्या कार्रवाई की है। अदालत ने यह आदेश परिवादी राज डॉक्टर की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए।
प्रार्थना पत्र में अधिवक्ता अभिजीत शर्मा ने अदालत को बताया कि उसने मनीष तुलसियान, निशांत तुलसियान, इनफिना फाइनेंस और कोटक सिक्योरिटीज के खिलाफ गत 8 नवंबर को गांधीनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें बताया गया था कि वह भारत-कनाडा एचआईवी एड्स परियोजना की पांच वर्षीय परियोजना में प्रबंधक रह चुका है। इस दौरान वह मनीष तुलसियान के संपर्क में आया था। मनीष ने खुद को सीए बताते हुए परिवादी का सारा आयकर का काम करना शुरू कर दिया। वहीं बाद में उसने अन्य आरोपियों से मिलीभगत कर परिवादी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर इनफिना फाइनेंस से उसके नाम बीस करोड रुपए का लोन ले लिया। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद अब तक मामले में कोई जांच नहीं की गई है। यहां तक की पुलिस ने परिवादी के बयान भी दर्ज नहीं किए हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस से मामले की गई जांच की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

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