धावा के साथ राजस्थान में तीन सचिव लगाए गए:अमृता धवन, वीरेंद्र राठौड़ और काजी निजामुद्दीन को सह प्रभारी सचिव की जिम्मेदारी

Share:-


कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ राजस्थान में तीन सह प्रभारी सचिव लगाए हैं। दिल्ली महिला कांग्रेस अध्यक्ष अमृता धवन, गुजरात में सह प्रभाारी वीरेंद सिंह राठौड़ और काजी निजामुद्दीन को राजस्थान कांग्रेस के सह प्रभारी सचिव के तौर पर प्रभारी के साथ अटैच किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने नियुक्ति के आदेश जारी किए हैं।

राजस्थान सह प्रभारी सचिव पद से तरूण कुमार को हटा दिया गया है। वीरेंद्र सिंह राठौड़ को गुजरात से राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई है। काजी निजामुद्दीन पिछले चुनावों के समय सह प्रभारी सचिव थे, अब फिर उन्हें जिम्मेदारी दी है। विधानसभा चुनावों से पहले राजस्थान कांग्रेस प्रभारी के साथ लगाई गई तीन सचिवों की टीम पर अब कोऑर्डिनेशन से लेकर चुनावी तैयारियों का जिम्मा रहेगा।

काजी निजामुद्दीन को लगातार दूसरी बार जिम्मेदारी दी गई है। निजामुद्दीन इससे पहले प्रभारी रहे दिवंगत गुरुदास कामत और पूर्व प्रभारी अविनाश पांडे के साथ भी राजस्थान में काम कर चुके हैं। उन्हें गांधी परिवार का करीबी माना जाता है।

महिला सह प्रभारी सचिव का नया प्रयोग
कांग्रेस ने राजस्थान में सह प्रभारी सचिव के तौर पर महिला नेता को जिम्मेदारी दी है। राजस्थान में कुमारी शैलजा और अंबिका सोनी प्रभारी रह चुकी हैं, लेकिन हाल के वर्षों में किसी महिला नेता को सह प्रभारी सचिव की जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। अमृता धवन दिल्ली से विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ की अध्यक्ष रहने के साथ एनएसयूआई की अध्यक्ष रह चुकी हैं।

नए प्रभारी को चार महीने बाद मिली टीम, सह प्रभारियों में अब होगा काम का बंटवारा

सुखजिंदर सिंह रंधावा को दिसंबर में राजस्थान प्रभारी सचिव की जिम्मेदारी दी गई थी। उनके साथ तरूण कुमार के अलावा सह प्रभारी सचिव नहीं था। अब उन्हें तीन सह प्रभारी सचिवों की टीम मिली है। अब सहप्रभारियों को जिले बांटकर उनके काम का बंटवारा होगा। आम तौर पर तीन सहप्रभारी सचिव लगाए जाते हैं। पिछले चुनावों के समय अविनाश पांडे के प्रभारी रहते हुए देवेंद्र यादव, तरूण कुमार और काजी निजामुद‌्दीन सहप्रभारी सचिव थे।

काम का होगा बंटवारा

सह प्रभारी सचिवों को चुनावी साल में जिले बांटकर काम का बंटवारा अब किया जाएगा। नेताओं और कार्यकर्ताओं की शिकायतों को सुनकर प्रभारी तक पहुंचाने। एआईसीसी से कॉर्डिनेशन रखना प्रभारी सचिवों की जिम्मेदारी होगी। नए प्रभारी सचिवों के सामने राजस्थान कांग्रेस की गुटबाजी के बीच सामंजस्य रखना भी चुनौती होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *