संजीवनी मामले में शेखावत की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट की रोक

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दो न्यायाधीशों के इनकार के बाद तीसरी सुनवाई पर जस्टिस कुलदीप माथुर ने दी राहत
जोधपुर। बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले के आरोपों में घिरे केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को हाईकोर्ट से राहत मिली है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए संजीवनी घोटाले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने एसओजी व राजस्थान में कहीं भी दर्ज एफआईआर पर गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाने के आदेश दिए है।
दरअसल संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी घोटाले मामले में एसओजी ने जोधपुर समेत जालोर और बाड़मेर जिले में एफआईआर करनी शुरू कर दी थी। इन एफआईआर के बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने 24 मार्च को जोधपुर हाईकोर्ट में मामले की जांच सीबीआई से करवाने और गिरफ्तारी पर रोक की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। इससे पूर्व 28 मार्च और 3 अप्रैल को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट जस्टिस मनेाज गर्ग और प्रवीर भटनागर की बेंच ने सुनवाई पर इनकार कर दिया था लेकिन आज हुई सुनवाई में जस्टिस कुलदीप माथुर ने राहत देते हुए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और तीन सप्ताह बाद दोबारा सुनवाई के लिए कहा गया है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह की ओर से जोधपुर हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट मनीन्द्र सिंह, उनके सहायक एडवोकेट युवराज सिंह और आदित्य विक्रम सिंह मौजूद थे।

.. इधर मुख्यमंत्री ने शेखावत पर साधा निशाना
कहा- मुलजिम नहीं थे तो क्यों गए हाईकोर्ट
जयपुर। केंद्रीय मंत्री शेखावत को मिली राहत पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन पर निशाना साधा। वे गुरुवार को जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित आरयूएचएस के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे। यहां उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान शेखावत को लेकर तंज कसा और कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत ने गिरफ्तारी पर रोक लगवाई है। कल तक तो कह रहे थे मैं तो इस मामले में हंू ही नहीं तो फिर हाईकोर्ट क्यों पहुंचे? अपने अरेस्ट न होने पर अपील क्यों लगवाई है। मैं कहना चाहूंगा कि दो लाख परिवार बर्बाद हो गए, उन्हें शर्म आनी चाहिए कि केंद्रीय मंत्री होकर अपनी गलती स्वीकार नहीं कर रहे हैं। अपने दोस्तों को कहे, जो प्रॉपर्टी देश-विदेश में है उन्हें बेच कर रुपए चुकाए। शेखावत को लेकर उन्होंने कहा केंद्रीय मंत्री बनना बड़े मान-सम्मान की बात है और जिंदगी में फिर क्या चाहिए? राजस्थान के लोग बर्बाद हो रहे हैं, मेरे पास भी आए थे लोग रोने लगे थे। इन्हें शर्म आनी चाहिए, लोग एमएलए बनकर खुश है। ऐसे मंत्री को केंद्रीय मंत्री रहना का अधिकारी नहीं। पीएम को चाहिए कि ऐसे मंत्री को बर्खास्त करे। प्र्रधानमंत्री को भी चाहिए कि वह उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करें। केंद्रीय मंत्री में अगर जरा सी भी नैतिकता है तो उन्हें कहना चाहिए कि वह जनता का पैसा चुकाएंगे।

मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री हैं आमने-सामने
पिछले कुछ महीने से संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत आमने-सामने हैं। संजीवनी मुद्दे को लेकर 21 फरवरी को सीएम ने शेखावत समेत उनके परिवार को इस घोटाले का आरोपी बताया था। इसके बाद शेखावत ने मार्च के पहले सप्ताह में गहलोत के खिलाफ दिल्ली की कोर्ट में मानहानि केस दायर किया था। मुख्यमंत्री पर मानहानि का केस दायर करने के बाद राजस्थान में एसओजी एक्टिव हुई और सोसायटी के संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज करना शुरू किया। 22 मार्च से अब तक जोधपुर, बाड़मेर व जालोर में 200 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं।

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