देश में शंख से ज्यादा अजान की आवाज सुनाई देती है : उमेशनाथ

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-उपेक्षित वर्ग को उभारने के अभियान में लगी संस्थाओं को आगे बढ़ाती है सेवा भारती
-तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम में केशव विद्यापीठ को अलग-अलग नगरों का दिया गया रूप
-देश के अलग-अलग हिस्सों से 4 हजार प्रतिनिधि कर रहे शिरकत
-बेंगलूरु, नईदिल्ली के बाद जयपुर में आयोजन
जयपुर, 7 अप्रैल (विशेष संवाददाता): हर पांच साल में राष्ट्रीय सेवा भारती की ओर से राष्ट्रीय स्तर सेवा संगम आयोजित किया जाता है और इस बार इसके लिए राजस्थान प्रदेश की राजधानी जयपुर को चुना गया है। इस अवसर पर बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने कहा कि प्राचीन समय में ऐसे घुसपैठिए देश में आए। हमारे देश को बाहरी लोगों ने तोड़ा और जब बाहरी लोगों को हमारे देश के ऋषि-मुनियों की त्याग तपस्या ने परास्त किया, तो ऐसा वक्त आया जब देश के कुछ भीतरी लोगों ने ही लोगों को तोडऩे का काम किया। तो समरसता का एक बड़ा आंदोलन शुरू हुआ। यह हमारा दुर्भाग्य रहा कि देश में शंख की आवाज बंद हो गई, घड़ी-घंटाल और नगाड़ों की आवाज बंद हो गई। सुबह से लेकर शाम तक हमें ध्वनि विस्तारक यंत्र से पांच टाइम की नमाज की आवाज सुनाई देने लगी। जो हमारे सभी काम को डिस्टर्ब करने लगी। यह सब क्यों हुआ। हमारे देश में शंख बजने इसलिए बंद हुआ। क्योंकि हमारे देश में हमारे बीच से ही घुसपैठिए आ गए। उन लोगों ने ऐसा माहौल खड़ा कर दिया, जिसकी वजह से हम लोगों को ही कष्ट होने लगे।
इसके पहले सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने राष्ट्रीय सेवा संगम में सेवा कार्यों की प्रदर्शनी देखी और कठपुतली कला का प्रदर्शन भी देखा। मौके पर प्र्रतिनिधियों ने कहा कि सेवा संगम में सहभागिता कर वे बेहद प्रसन्न हैं और गर्व की अनुभूति कर रहे हैं। ये उनके जीवन के अभूतवपूर्व पल हैं। सेवा संगम में स्वावलंबी भारत, समृद्ध भारत के स्वप्न को यथार्थ में बदलने पर चिंतन हो रहा है। उन्होंने सेवा संगम को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए सेवा भारती को विश्वभर में समर्थन मिल रहा है। राष्ट्रीय सेवा भारती सेवा संगम के माध्यम से हमारा उद्देश्य स्वयंसेवी संगठनों के सामूहिक प्रयासों के बीच तालमेल स्थापित करके एक सामंजस्यपूर्ण, सक्षम, आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर समाज और समृद्ध भारत का निर्माण करना है। राष्ट्रीय सेवा भारती एक समर्पित सामाजिक संगठन है जो बालिकाओं के विकास, आत्मसम्मान, ग्राम विकास, आत्मनिर्भरता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करता है। सेवा भारती ने कोविड-19 जैसी महामारी के समय में बंधुओं की सहायता की। साथ ही देश भर में असंख्य युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार के अवसरों का सृजन करने में भी सहायता की है। सेवा संगम में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, सामाजिक क्षेत्र में किए गए श्रेष्ठ कार्यों की प्रदर्शनी भी लगी है। दशकों से सेवा भारती से जुड़े स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने स्वावलंबी भारत, मातृशक्ति सशक्तिकरण, किशोरी विकास, ग्राम्य विकास, वोकल फॉर लोकल और आपदा प्रबंधन के जो श्रेष्ठ कार्य किए हैं उनका यहां प्रदर्शन किया। वक्ताओं ने सफलता की इन गाथाओं की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। इन क्षेत्रों में सेवा भारती के योगदान की भी सराहना की गई। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय सह सेवा प्रमुख राजकुमार मटाले ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए कहा कि नानाजी देशमुख एक मंत्र दे गए कि अपने लिए नहीं अपनों के लिए जियो। जहां संगम होता है, वहां अध्यात्म ऊर्जा बढ़ती है, जो सद्कार्यों की प्रेरणा देती है। इससे पूर्व उद्योगपति नरसीराम कुलरिया ने स्वागत भाषण दिया। राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष पन्नालाल भंसाली ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा भारती की महासचिव रेणु पाठक ने किया। इस अवसर पर अतिथियों ने सेवा साधना पत्रिका का लोकार्पण किया। इस पत्रिका का विषय स्वावलंबी भारत रखा गया है।

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