एसओजी के हत्थे चढ़ा पर्चा लीक गिरोह का अहम किरदार शेर सिंह,एक लाख के इनामी वाइस प्रिंसिपल को उड़ीसा से किया गिरफ्तार

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मास्टरमाइंड सारण ने 1 करोड़ में पेपर खरीदने की कही थी बात
अब एसओजी शेर सिंह मीणा को जयपुर लाकर करेगी पूछताछ

जयपुर, 6 अप्रैल (ब्यूरो): आरपीएससी द्वितीय श्रेणी अध्यापक पर्चा लीक प्रकरण में अहम कड़ी माने जा रहे सरकारी स्कूल के वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा को एसओजी उड़ीसा से गिरफ्तार कर जयपुर के लिए रवाना हो गई है। एक करोड़ के इनामी पर्चा लीक माफिया के बारे में गिरफ्तार हो चुके मास्टर माइंड भूपेन्द्र सारण ने राज उगले थे। जांच एजेंसियां इससे पहले भूपेन्द्र सारण और फरार चल रहे मास्टर माइंड सुरेश ढाका को ही मुख्य सूत्रधार मान रही थी। पूछताछ के दौरान मिले इनपुट के आधार पर एसओजी ने लंबे समय तक उड़ीसा में डेरा डाला तो उसे दबोचने में बड़ी सफलता मिली, जबकि ढाका की गिरफ्तारी को लेकर प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
एसओजी सूत्रों के अनुसार गिरफ्तार मास्टर माइंड और पर्चा माफियाओं के बीच अहम कड़ी माना जा रहा असली नाम अनिल मीणा पुत्र गोपाल मीणा है। उसने शेरसिंह मीणा के नाम से पहचान बना रखी थी, वह गांव डोला का बास चौमूं का रहने वाला है। द्वितीय श्रेणी अध्यापक परीक्षा प्रश्न पत्र लीक में अहम भूमिका निभाने वाला शेर सिंह मीणा खुलासे के बाद से फरार हो गया था। वह सरकारी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल है। जांच एजेंसियों ने पर्चा लीक प्रकरण के मास्टरमाइंड भूपेन्द्र सारण और सुरेश ढाका की गिरफ्तारी पर 1-1 लाख रुपए का इनाम रखा था। भूपेन्द्र सारण के गिरफ्तार होने पर उसने अगली कड़ी शेर सिंह मीणा का नाम खोला तो एसओजी के कान खड़े हो गए, जबकि इससे पहले ढाका और सारण को ही मास्टरमाइंड माना जा रहा था। बाद में मीणा की गिरफ्तारी पर भी मुख्यालय की ओर से 1 लाख का इनाम घोषित किया गया।

सारण ने शेरसिंह से खरीदे थे 4 पेपर
गिरफ्तार भूपेन्द्र सारण ने बताया कि उसने द्वितीय श्रेणी अध्यापक भर्ती का प्रश्न-पत्र 1 करोड़ रुपए में अनिल उर्फ शेर सिंह मीणा से खरीदा था। वह फिलहाल आबूरोड के सरकारी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल के पद पर पदस्थापित था। खुलासा यह भी हुआ है कि मास्टरमाइंड भूपेंद्र सारण ने एक नहीं बल्कि 4 पेपर शातिर शेर सिंह से खरीदे थे। भूपेन्द्र सारण के पास पेपर पहुंचा तो उसने अगली कड़ी मास्टर माइंड सुरेश ढाका को बेच दिया था। बाद में यह पेपर सुरेश ढाका के पास पहुंचा, जिसने अपने साले सुरेश विश्नोई के जरिए प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को 5-5 लाख रुपए में बेचा था। अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर शेर सिंह ने पर्चा किससे खरीदा, इसका पता लगने पर और भी माफियाओं के नाम सामने आने पर अन्य मास्टर माइंडों पर शिकंजा कसा जाएगा।

टीचर से पेपर माफिया का सफर
अनिल उर्फ शेर सिंह जयपुर के फागी स्थित सरकारी स्कूल में तैनात था। उस समय पेपर लीक का आरोपी जगदीश बिश्नोई भी शिक्षक के पद पर कार्यरत था। दोनों में दोस्ती हुई तो जगदीश बिश्नोई नकल कराने वाली गैंग के मास्टरमाइंड भूपेंद्र सारण से जुड़ गया। भूपेंद्र सारण के फागी पहुंचकर जगदीश से मिलने के दौरान शेर सिंह भी इनसे जुड़ गया। भूपेंद्र सारण ने सिपाही भर्ती का पेपर लीक करवाया था, जिसके बाद भूपेंद्र सारण और शेर सिंह मीणा ने सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने की साजिश रची, जिसमें वे सफल हो गए। इनके बीच हुई डील के अनुसार शेर सिंह मीणा को सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करवाने और आगे बेचने की जिम्मेदारी भूपेंद्र सारण को मिली थी।

परिवार से दूरी, ताकि आंच नहीं पहुंचे
शातिर शेर सिंह ने पर्चा माफिया गैंग खड़ी करते वक्त परिवार को सुरक्षित रखने का निर्णय लिया। उसने करीब 5 साल पहले ही परिवार से दूरी बनाई और गांव से रिश्ता खत्म कर आना-जाना कम कर दिया था। उसके दो भाई सरकारी नौकरी में हैं, जबकि एक छोटा भाई अपनी मां के साथ रहकर गांव में किराने की दुकान चलाता है। वह इतना शातिर है कि पर्चा लीक से जुटाई हुई कमाई को निवेश करने के ठिकानों के बारे में किसी को भनक नहीं लगने देता था। वह फिलहाल आबूरोड के स्वरूपगंज स्थित भावरी गांव में सरकारी स्कूल में वाइस प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत था। वह सरकार में अच्छी पैठ बताकर लोगों को झांसे में लेता था।

जयपुर ला रही टीम
एसओजी एडीजी अशोक राठौड़ के अनुसार आरोपी को लेकर टीम रवाना हो गई है। उसे बुधवार शाम को उड़ीसा से पकड़ा है, जो वर्ष 2022 में आयोजित हुई वरिष्ठ अध्यापक प्रतियोगी परीक्षा प्रश्न पत्र लीक प्रकरण की अहम कड़ी है। इस मामले में उदयपुर के बेकरिया थाने में मामला दर्ज है। तीन दिन पहले एसओजी को उसके बारे में इनपुट मिलेे तो एसओजी की टीम में शामिल जितेन्द्र शर्मा, सचिन तिवाड़ी, रामलाल, महावीर और हनुमान को उड़ीसा भेजा गया था। शातिर को गिरफ्तार कर टीम रवाना हो गई है, जिससे मुख्यालय लाकर पूछताछ की जाएगी।

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