केरल के बाद गुजरात हाईकोर्ट ने केबल ऑपरेटरों की बढ़ते चैनल मूल्य निर्धारण के खिलाफ ट्राई की प्रतिक्रिया मांगी

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गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को गुजरात के केबल ऑपरेटर एसोसिएशन द्वारा दायर रिट याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें नए टैरिफ आदेशों को चुनौती दी गई, जिसके द्वारा प्रसारकों ने केबल उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले बुके में शामिल करने के लिए चैनल की कीमतों को 12 रूपये से बढ़ाकर 19 रूपये कर दिया है। याचिकाकर्ता ने दूरसंचार (प्रसारण और केबल) सेवा इंटरकनेक्शन (एड्रेसेबल सिस्टम) (चौथा संशोधन) विनियम, 2022 [विनियम संशोधन, 2022] और दूरसंचार (प्रसारण और केबल) सेवाएं (आठवां) (एड्रेसेबल सिस्टम) टैरिफ (तीसरा संशोधन), 2022 [टैरिफ संशोधन] कथित घातीय वृद्धि का हवाला देते हुए आदेश को चुनौती दी।
यह तर्क दिया गया कि 12 रूपये की कैप को ट्राई ने 1 जनवरी, 2020 को केवल संशोधनों के माध्यम से तय किया और प्राधिकरण ने अब बिना किसी औचित्य के ‘यू-टर्न’ ले लिया। ऐसी ही याचिका केरल हाईकोर्ट के समक्ष भी लंबित है। इसमें पक्षकारों ने अंतरिम व्यवस्था की और हाईकोर्ट जल्द ही इस मामले पर अंतिम फैसला करेगा। इस मामले में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि 12 रूपये की कीमत कैप बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2021 में बरकरार रखा था और इसे लागू करने के बजाय ट्राई ने कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना इस प्राइस कैप को बढ़ाकर 19 रूपये कर दिया।

याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि ट्राई ने इंटरकनेक्ट विनियमों के विनियम 7(4) और विनियम 10 (12) में बदलाव किए, जो उपभोक्ताओं को अला-कार्टे भ्रम बनाकर बुके की सदस्यता लेने के लिए मजबूर करेंगे और उपभोक्ताओं के लिए प्रभावी लागत बढ़ाएंगे। इसलिए यह प्रस्तुत किया गया कि विवादित नियम ट्राई अधिनियम और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1) (जी) का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि इसने उपभोक्ता और उसकी स्वायत्तता का विकल्प लिया है। यह भी कहा गया कि विवादित नियम प्रेरित प्रतीत होते हैं और प्रसारकों के प्रति शीर्षक और अन्य सभी हितधारकों की उपेक्षा की गई।
कोर्ट ने ट्राई, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन को नोटिस जारी कर मामले को फिर से 5 अप्रैल, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया।

केस टाइटल: केबल ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ गुजरात बनाम टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया कोरम: एक्टिंग चीफ जस्टिस ए.जे. देसाई और जस्टिस बीरेन वैष्णव

 

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