पाकिस्तान की राह पर ब्रिटेन:2 से ज्यादा आलू, टमाटर खरीदने पर रोक

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-आखिर क्यों मार्केट से फल-सब्जियां गायब हो रहीं
8 घंटे पहले
ब्रिटेन,24 24 फरवरी(ब्यूरो).
ब्रिटेन भी पाकिस्तान की राह पर है। यहां पर भी फल और सब्जियों की कमी हो गई है। आलम यह है कि सुपरमार्केट में लिमिट तय कर दी गई है। यानी पैसे देने के बावजूद आप आलू, टमाटर जैसी चीजों को ज्यादा मात्रा में नहीं खरीद सकते हैं। ब्रिटेन के सबसे बड़े सुपरमार्केट में आप 2 से ज्यादा आलू या टमाटर नहीं खरीद सकते हैं।

ब्रिटेन में सुपरमार्केट के शेल्फ खाली पड़े हैं। यह ब्रिटेन के किसी एक सुपरमार्केट की बात नहीं है, बल्कि सभी में लगभग यही स्थिति है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था मंदी के दौर से गुजर रही है। साथ ही महंगाई भी चरम पर है। इसी बीच अब खाने की चीजों की कमी होना चिंताजनक है।
ज्यादा फल और सब्जियां खरीदने पर पाबंदी क्यों लगा दी है?
ब्रिटेन के 4 सबसे बड़े सुपरमार्केट मॉरिसन, अस्दा, एल्डि और टेस्को ने ताजा फल और सब्जियां लेने पर लिमिट तय कर दी है। इनमें टमाटर, आलू, खीरा, शिमला मिर्च और ब्रोकली जैसी जल्दी खराब होने वाली फल और सब्जियां शामिल हैं। यानी किसी शख्स को अगर टमाटर खरीदना है तो वह 2 से 3 टमाटर ही खरीद सकता है न कि किलोभर।
सबसे पहले ब्रिटेन के तीसरे सबसे बड़े किराना स्टोर अस्दा ने लिमिट तय की। इसके बाद बुधवार तक मॉरिसन के साथ ही एल्डि और टेस्को भी इसमें शामिल हो गए। पूर्वी लंदन, लिवरपूल और ब्रिटेन के कई हिस्सों में दुकानों से पहले ही फल और सब्जियां गायब हैं। पूर्वी लंदन के सुपरमार्केट अस्दा में शेल्फ पर लिखा है कि एक कस्टमर 3 से ज्यादा टमाटर नहीं ले सकता है।
अस्दा के स्टोर ने टमाटर, शिमला मिर्च, खीरे, सलाद वाले पत्ते, बैग्ड सलाद, ब्रोकली, फूलगोभी और रसभरी जैसी वस्तुओं पर लिमिट तय की है। अस्दा के स्टोर से इन वस्तुओं को 3 से ज्यादा नहीं खरीदा जा सकता। मॉरिसन में ग्राहक टमाटर, खीरे, सलाद वाले पत्ते और शिमला मिर्च जैसी सब्जियां 2 से ज्यादा नहीं ले सकते हैं।
टेस्को और सेन्सबरी समेत प्रमुख सुपरमार्केट को रिप्रजेंट करने वाले ब्रिटिश रिटेल कंसोर्टियम ने कहा कि सप्लाई का मुद्दा काफी बड़ा हो गया है। सुपरमार्केट में खाली शेल्फ की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं।
आखिर ब्रिटेन में फलों और सब्जियों की कमी की वजह क्या है?
दरअसल, सर्दियों में ब्रिटेन खीरे और टमाटर जैसी लगभग 90% वस्तुओं का आयात करता है यानी दूसरे देशों से मंगाता है। ब्रिटेन इन महीनों के दौरान केवल 5% टमाटर और 10% सलाद वाले पत्तों का उत्पादन करता है। ऐसे में सुपरमार्केट के लिए स्टॉक रखना जरूरी हो जाता है।
हुआ ये है कि जिन देशों से ये वस्तुएं आती हैं वहां पर इस बार फसल अच्छी नहीं हुई है। साथ ही ब्रिटेन में भी कृषि संकट से उपज में कमी आई है। ऐसे में ब्रिटेन में इन वस्तुओं की काफी कमी हो गई है।
साउथ यूरोप और नॉर्थ अफ्रीका में खराब मौसम से कई फसलों की कटाई नहीं हो पाई है। सर्दियों के मौसम में ब्रिटेन को इन वस्तुओं की सबसे ज्यादा सप्लाई मोरक्को और स्पेन से होती है, जो असाधारण मौसम का सामना कर रहे हैं।
मोरक्को से फलों की सप्लाई नहीं हो पाई है। वजह है, मोरक्को पिछले तीन से चार हफ्तों से भारी सर्दी, बारिश और बाढ़ से जूझ रहा है। ज्यादा सर्दी होने से टमाटर के पकने में देरी हो रही है। इसी वजह से सप्लाई रुक गई है।

साथ ही खराब मौसम होने की वजह से समुद्री जहाजों के फेरों में भी कमी आई है। कई जानकार यह आशंका जता रहे हैं कि मोरक्को अपनी खाद्य जरूरतों को देखते हुए टमाटर, प्याज और आलू के निर्यात में कमी ला सकता है। इससे यह संकट और बढ़ सकता है।
स्पेन से आयात होने वाले फलों और सब्जियों पर भी मौसम का असर पड़ा है। अल्मेरिया क्षेत्र में पिछले साल फरवरी की तुलना में इस बार टमाटर के उत्पादन में 22% की कमी आई है। इस वजह से स्पेन के उत्पादक भी काफी परेशान हैं।
एसोसिएशन ऑफ फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रोड्यूसर्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अल्मेरिया कोएक्सफाल ने कहा है कि स्थिति चिंताजनक होने लगी है, क्योंकि कुछ कंपनियों को अपने ग्राहकों की सप्लाई को पूरा करने में समस्या आ रही है।
ब्रिटेन में स्थानीय स्तर पर भी सप्लाई प्रभावित हुई है। ब्रिटेन में इन फलों और सब्जियों का उत्पादन आम तौर पर मार्च या अप्रैल के अंत में शुरू होता है। हालांकि लेबर की कमी और बिजली की बढ़ती कीमत ने ब्रिटिश किसानों को ग्रीनहाउस बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है, क्योंकि वे बिजली का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं।
फलों और सब्जियों का यह संकट कब खत्म होगा?
जानकार बताते हैं पिछले हफ्तों में इन वस्तुओं में कमी आने के बाद यह समस्या और बढ़ने की आशंका है। ब्रिटेन के नेशनल फार्मर्स यूनियन यानी NFU के अध्यक्ष मिनेट बैटर्स ने कहा कि हर कोई राशनिंग से बचना चाहता है, जैसा कि हमने दिसंबर में अंडे के साथ देखा था। मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में कुछ वस्तुओं की काफी कमी देखने को मिल सकती है।
NFU के मुताबिक साल 1985 के बाद टमाटर और खीरे जैसी सलाद सामग्री की सप्लाई में सबसे बड़ी कमी आई है। मिर्च और अन्य सलाद वाली सब्जियां जो घर के अंदर उगाई जाती हैं, उनमें काफी कमी आई है। वहीं आलू, फूलगोभी और ब्रोकली के उत्पादन को लेकर भी चिंताएं हैं। हालांकि NFU ने पैनिक खरीदारी के खिलाफ चेतावनी दी है।
नॉर्थ वेस्ट इंग्लैंड के मर्सीसाइड में वाटर लेन फार्म के मालिक ओली हैरिसन कहते हैं कि सुपरमार्केट और स्टोर्स को खाली शेल्फ देखने की आदत डालनी होगी। लोगों को मौसम के अनुसार फिर से टमाटर जैसी कुछ चीजें खानी शुरू करनी होंगी, क्योंकि बेमौसम बिना मदद के उन्हें उगाया नहीं जा सकता है। यह सिंपल सी बात है। अगर किसी चीज को उगाने के लिए बिजली की जरूरत है और उसकी लागत लगातार बढ़ रही हो तो कोई उसे नहीं उगाएगा।
BRC के फूड एंड सस्टेनेबिलिटी के डायरेक्टर ऑफ एंड्रयू ओपी ने बताया कि यह संकट कुछ और हफ्तों तक रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सुपरमार्केट सप्लाई चेन के मुद्दे का हल करने के लिए किसानों के साथ काम कर रहे हैं।
सुपरमार्केट वेट्रोज के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जेम्स बेली कहते हैं कि दो हफ्ते के बाद संकट में कमी आ सकती है। स्पेन में बर्फबारी हो रही है। पिछले हफ्ते नॉर्थ अफ्रीका में ओलावृष्टि हो रही थी। इससे बड़े स्तर पर फसलों को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में सप्लाई को सुधारने में थोड़ा समय लगेगा।
ब्रिटेन के किसानों ने इस संकट के लिए किसे जिम्मेदार बताया है?
ब्रिटिश ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रमुख जैक वार्ड कहते हैं कि किसानों को उनकी उपज का पर्याप्त पैसा नहीं मिल रहा है। इससे उन्हें नुकसान हो रहा है। ऐसे में पहले से ही उपज की कम उम्मीद थी। साथ ही रिटेलर्स भी किसानों को मदद का भरोसा नहीं दिला सके कि हम आपको वह कीमत देंगे जिसकी आपको आवश्यकता है। ऐसे में किसानों ने ज्यादा लागत के डर से फसल ही नहीं उगाई।
ब्रिटेन के किसानों को बिजली की बढ़ती कीमतों से बचाने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना की गई है। ब्रिटेन के किसान संघ ने कहा है कि रॉयल बोटेनिकल गार्डन को सब्जी उत्पादकों की तुलना में ज्यादा सुविधा दी जा रही है। यानी रॉयल बोटेनिकल गार्डन के लिए यूज होने वाली बिजली का खर्च तो ब्रिटेन सरकार उठाती है, लेकिन किसानों को कोई राहत नहीं दी जाती।
ब्रिटेन में महंगाई से क्या भुखमरी जैसे हालात हो गए हैं?
ब्रिटेन में महंगाई के कारण पाकिस्तान के जैसे ही भुखमरी के हालात हो गए हैं। वहां के आम लोगों की बात छोड़िए, टीचर्स, स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी और पेंशनधारी भी अपने खाने का खर्च नहीं उठा पा रहे हैं। आम लोगों के साथ ही टीचर्स, स्वास्थ्यकर्मी और पेंशनधारियों को भी फूड बैंक पर निर्भर होना पड़ रहा है।

दिसंबर 2022 और जनवरी 2023 में लोगों ने सबसे ज्यादा फूड बैंक से मदद मांगी। ब्रिटेन में करीब 154 संस्थाएं फूड बैंक चलाती हैं, जो लोगों को मुफ्त भोजन बांटते हैं। इंडिपेंडेंट फूड एड नेटवर्क यानी IFAN ने 90% फूड बैंकों के आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है।
फूड बैंक संचालित करने वाली 85 संस्थाओं ने बताया कि जब भोजन की मांग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी तो उन्होंने कई बार भोजन में कटौती की और भोजन मांगने आए बहुत से लोगों को वापस भी लौटा दिया।
ब्रिटेन में सबसे ज्यादा फूड बैंक द ट्रसेल ट्रस्ट नाम की संस्था चला रही है। उसके 1300 से अधिक फूड बैंक हैं। ट्रस्ट के मुताबिक उसने पिछले साल अप्रैल से सितंबर के बीच 13 लाख आपातकालीन फूड पैकेट बांटे।
आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 3 लाख 20 हजार से ज्यादा लोग खाने के लिए फूड बैंक जा चुके हैं। साल 2021 की तुलना में यह संख्या एक तिहाई ज्यादा है, जबकि महामारी के पहले से तुलना करें तो यह 50% ज्यादा है।

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